मोदीनगर। श्री पीताम्बरा विद्यापीठ सीकरीतीर्थ पर कॉरोना महामारी के विनाश के लिए यज्ञ अनुष्ठान जारी है।
पीठ के संस्थापक अधिष्ठाता आचार्य चन्द्रशेखर शास्त्री ने बताया कि शास्त्रों ने तीन तरह के उपचार किसी भी रोग के बताए हैं, जो मानुषी, आसुरी और दैवीय कहे गए हैं। जिनमें दैवीय उपचार सर्वोत्तम कहे गए हैं। आयुर्वेद के ग्रंथों में यज्ञ चिकित्सा को श्रेष्ठ चिकित्सा कहा गया है।
आचार्य चन्द्रशेखर शास्त्री ने बताया कि रोग और महामारी नाश के लिए शास्त्रों में उल्लिखित मंत्रों से कपूर, जटामांसी, छड़, गुग्गलु, लोबान, नागकेसर, केसर, जावित्री, जायफल, लौंग, हरी इलायची, अनारदाना, बेल, चंदन, किंशुक के फूल, काले तिल, हल्दी, सर्वोषधि, अष्टगंध, इन्द्रजौ, जौ, अपामार्ग, गिलोय, पीली सरसौं, ख़ूबकला और निर्गुन्डी आदि 73 वनस्पतियों के पंचांगों को मिलाकर देशी गाय के घी से सिक्त कर सामग्री बनाई गई है। आम, बेल और पीपल की समिधाओं से श्री पीताम्बरा विद्यापीठ सीकरीतीर्थ पर नित्य दोनों समय यज्ञ निरन्तर है।
चैत्र नवरात्र के पारण के समय कन्या पूजन में अवरोध पर उन्होंने बताया कि इस बार कॉरोना महामारी के कारण कन्या पूजन,यदि घर में कन्याएं हैं, तभी सम्भव है। कन्या पूजन मानसिक करके गौ और असहायों को भोजन कराना चाहिए।
उन्होंने बताया कि ग्रहों की प्रतिकूलता से औषधियां काम नहीं करती हैं, इसलिए ग्रहों का पूजन करते रहना चाहिए। पृथ्वी पर सभी जीव सूर्य की ऊर्जा से जीवन पाते हैं और सूर्य के प्रतिनिधि अग्नि के माध्यम से किया गया यज्ञकर्म संसार का सर्वोत्तम कर्म है। आचार्य चन्द्रशेखर शास्त्री ने कहा कि वेदों ने यज्ञ को श्रेष्ठतम कर्म बताया है। यज्ञ के द्वारा समस्त विश्व का कल्याण होता है। यज्ञ के द्वारा वायुमंडल में फैले विषाणु नष्ट होते हैं और वायुमंडल शुद्ध होता है।
इसलिए सरकार द्वारा जारी की गई एडवाइजरी का पालन करते हुए सबको यज्ञ करना चाहिए। सनातन की नमस्कार शैली और एक निर्धारित दूरी के नियम का पालन करते हुए सरकार को सहयोग करना चाहिए।
कॉरोना महामारी के विनाश के लिए अनुष्ठान